कभी तो तलाश ये पूरी होगी



दिन वो दूर नही जब हम साथ होगे
तेरी चाह में भटक रहे हैं हम
कभी तो हमारे रास्ते एक होगे
कभी तो तलाश ये पूरी होगी |


दिल में तमनाओँ का दौर चल रहा है
कभी पूरा तो कभी अधूरा सा दिख रहा है 
कभी तो हमारे ख्वाब पूरे  होंगे
कभी तो तलाश ये पूरी होगी |


एक रौशनी की किरण दिखाई देती है 
जाने क्यों पास वो कभी आ नही पाती है 
कभी तो हमारे दिल लौ से गुलजार होंगे
कभी तो तलाश ये पूरी होगी |

 
प्यासे मुख में बस तीस ही बची है
दो बुँदे पानी की बरसती भी नही
कभी तो आँगन हमारे गीले होंगे
कभी तो तलाश ये पूरी होगी |  

Unpacking Ghazwa-e-Hind: Examining the Prophecy of Conflict in India.



Have you ever heard of Ghazwa-e-Hind? It's a prophecy that's gained notoriety in some circles, painting a picture of a great battle in India between Muslims and Hindus. According to this prophecy, Muslim warriors will conquer the entire Indian subcontinent, creating an Islamic caliphate reminiscent of the social order during the time of Prophet Muhammad. But let's take a closer look at this prophecy and what it entails.

The prophecy, often cited from Sahih Muslim Book-41/Hadith-6985, predicts a series of end-time battles, including one between Muslims and Jews, where Muslims will prevail until even the trees and stones will aid them in identifying and eliminating Jews who seek refuge. While this particular hadith doesn't explicitly mention India, some interpret it as part of the broader narrative of Ghazwa-e-Hind.

Now, here's where it gets contentious. The idea of Ghazwa-e-Hind isn't just about military conquest; it's also associated with imposing Islamic Sharia law and transforming the social and political landscape of the Indian subcontinent. This vision of conquest and religious imposition has sparked debates and concerns among various communities.

Historically, some proponents of Ghazwa-e-Hind have pointed to instances of destruction, pillaging of Hindu temples, and the mistreatment of Hindu women as examples of what they see as the fulfillment of this prophecy. However, it's essential to approach such claims with critical scrutiny and contextual understanding.

Firstly, interpretations of religious prophecies can vary widely, and not all Muslims subscribe to the idea of Ghazwa-e-Hind or interpret it in the same way. It's crucial to recognize the diversity of beliefs within any religious tradition.

Secondly, historical events must be examined with nuance. While there have been instances of conflict and conquest in the Indian subcontinent, attributing them solely to the prophecy of Ghazwa-e-Hind oversimplifies complex historical dynamics shaped by political, economic, and social factors.

Moreover, sensationalizing or glorifying violence against any community, whether based on religious prophecies or otherwise, is deeply problematic and goes against the principles of tolerance, coexistence, and respect for human dignity.

As we navigate discussions around Ghazwa-e-Hind and similar prophecies, it's essential to foster dialogue, understanding, and empathy among different communities. Rather than focusing on divisive narratives of conquest and domination, let's work towards building a future based on mutual respect, peace, and cooperation. After all, the true essence of any faith lies in promoting compassion, justice, and harmony among all people.

खराब फैसले, शानदार कहानियां



जीवन में हर व्यक्ति कभी न कभी ऐसे फैसले लेता है जो बाद में उसे गलत लग सकते हैं। लेकिन अगर हम गौर करें, तो यही "खराब फैसले" हमारे जीवन की सबसे यादगार और रोचक कहानियों का आधार बनते हैं।

खराब फैसले हमें जोखिम उठाने, असफलताओं का सामना करने और अनिश्चितताओं के बीच अपने अस्तित्व को समझने का अवसर देते हैं। वे हमें उन राहों पर ले जाते हैं जिनका हमने पहले कभी सोचा नहीं होता। इसी दौरान, हमारी सोच, समझ और व्यक्तित्व का विकास होता है।

जैसे ही हम किसी बुरे निर्णय के परिणामस्वरूप कठिनाइयों में फंसते हैं, हमारा मनोबल और हमारी आत्मशक्ति को परखा जाता है। यह संघर्ष हमारी कहानी में जान डालता है। जब हम इन स्थितियों से बाहर निकलते हैं, तो हमें पता चलता है कि यही अनुभव हमें दूसरों से अलग बनाते हैं।

खराब फैसलों से सीखने की कला

सही और गलत का निर्णय अक्सर परिस्थिति और दृष्टिकोण पर निर्भर करता है। "खराब फैसले" वही होते हैं जो हमें हमारी गलतियों से सीखने का मौका देते हैं। जैसे महाभारत में अर्जुन को युद्ध करने का फैसला कठिन और नैतिक रूप से दुविधापूर्ण लगा, लेकिन उस युद्ध ने धर्म, कर्तव्य और मानव जीवन की जटिलताओं को समझने का मार्ग प्रशस्त किया।

श्लोक:
"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥"
(भगवद्गीता 2.47)

इस श्लोक का सार यह है कि हमें अपने कर्म को अंजाम देना चाहिए, भले ही परिणाम कुछ भी हो।

कहानियों का निर्माण

हर असफलता में एक कहानी छिपी होती है। आपके द्वारा की गई गलतियां या लिए गए गलत निर्णय आपकी यात्रा को और रोचक बना सकते हैं। यही कारण है कि लेखकों और कवियों को प्रेरणा अक्सर अपने जीवन की चुनौतियों और असफलताओं से मिलती है।

हिंदी कविता:
"गिरते हैं जो सफर में, वही कहानी लिखते हैं।
जो डरते हैं फैसलों से, वो ज़िंदगी से चूकते हैं।"

खराब फैसले हमें सिखाते हैं कि जीवन एक किताब की तरह है। इसके हर पन्ने पर लिखा होता है कि कैसे असफलताएं ही व्यक्ति को सफलताओं के लिए तैयार करती हैं।

खराब फैसले लेना एक साहस का काम है। ये फैसले हमें अपनी सीमाओं से बाहर निकलने और जीवन को गहराई से अनुभव करने का मौका देते हैं। आखिरकार, हमारी गलतियां ही हमें सच्चे मायनों में इंसान बनाती हैं और हमारे जीवन को एक शानदार कहानी में बदल देती हैं।

तो अगली बार, जब भी कोई "गलत" फैसला लें, यह सोचें कि आप शायद अपनी जिंदगी की सबसे दिलचस्प कहानी लिख रहे हैं।


अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...