पर ग़म के साथ चल कर, नयी राहों को चुना हूँ।
उस ग़म को बाहर निकाल कर, नये सपने सजाएं,
मैंने कुछ नया रचा है, नयी धारा में बह जाएं।
ग़म तो बस एक पल है, एक पहाड़ है जो चला जाएगा,
नई सुबह की किरणों में, मैं खुद को पा जाऊंगा।
राहों में मैंने अपने सफ़र को जारी किया है,
मुसाफ़िर हूँ मैं, चला जाऊंगा, ऊँचाईयों को छूने को आया हूँ मैं।
उड़ने की आशा से, मैं बस यहाँ आया हूँ,
कुछ पेड़ों के नीचे अटका हूँ, नये सपनों को जगाने को आया हूँ।