ठीक है



मैं एक आदमी हूँ,
टूटे रिश्ते ठीक हैं,
आगे बढ़ना ठीक है,
नहीं कहना ठीक है।

शून्य से शुरू करना ठीक है,
अपना काम छोड़ना भी ठीक है,
लेकिन एक और साल बर्बाद करना,
वही पुराना रटा-रटाया रास्ता,
वो सही नहीं है।

खुद को हर बार फिर से खड़ा करना,
नई दिशा में चलना,
अपनी गलती से सीखना,
वो ही असल ताकत है।

जो भी करना है, पूरी ताकत से करो,
लेकिन खुद को वही पुराना जाल में नहीं फंसने दो।


"प्रेम का दिव्यता रूप"

प्रेम ही असली चीज़ है, जहाँ मन का हर बीज है। कामनाओं से परे की धारा, जहाँ आत्मा ने खुद को पुकारा। जब स्पर्श हो बिना वासना की छाया, तो प्रेम ...