संख्याओं का खेल



कागज़ पर लिखी शर्तें, बस एक पहलू हैं,
मौके तो बस उन तक पहुंचने का सेतु हैं।
योग्यता नहीं, हौसले की बात है,
हर नए सफर की यहीं शुरुआत है।

कंपनियां भी जानती हैं, हर कोई नया है,
उनकी दुनिया में सीखना ही सहारा है।
जो अनुभवी हैं, उन्हें भी सिखाया जाता है,
हर हुनर यहां मेहनत से पाया जाता है।

तो डर किस बात का? कदम बढ़ाओ,
हर अवसर को दिल से अपनाओ।
ये खेल है संख्याओं का, एक न सही,
दूसरा मौका तुम्हारे लिए सही।

अगर हार भी हो, तो भी मत रुको,
एक "ना" के पीछे छुपा "हां" का मुखौटा।
हर आवेदन है मंज़िल की ओर बढ़ता कदम,
हर अस्वीकार तुम्हें बनाएगा और दमदार।

खुद पर विश्वास रखो, बस चलते जाओ,
दुनिया को अपनी लगन दिखलाओ।
कोशिशें रंग लाती हैं, ये याद रखना,
हर सपने को साकार करने का जज़्बा रखना।

संख्याओं का खेल है, प्रयास हैं जो गिनते हैं,
जो कोशिश से चूके, वो अवसर ही छिनते हैं।


खुद को हरा मत देना



नौकरी की शर्तें बड़ी लगती हैं,
पर क्या सपने छोटे पड़ते हैं?
अगर कदम न बढ़ाया, तो कैसे जानोगे?
जो सोचते हो नामुमकिन, वो कैसे पाओगे?

अपना न कहना, ये खेल न खेलो,
खुद को मौके से दूर मत मेलो।
क्या पता, जो दरवाज़ा बंद लगे,
वो तुम्हारे दस्तक से खुल ही पड़े।

उनका काम है तुम्हें मापना,
तुम्हारा है खुद को साबित करना।
हर ना एक नया सबक सिखाएगी,
एक हां तुम्हारी किस्मत चमकाएगी।

इसलिए हर दरवाजे पर दस्तक दो,
जो दिल कहे, वहां खुद को रख दो।
हार से डरो मत, ये रास्ता है जीत का,
खुद पर भरोसा रखो, यही मंत्र है प्रीत का।

कभी मत कहो "नहीं मुझसे होगा,"
अपने सपनों को मत धोखा।
जितना सोचो, उससे कहीं ज्यादा हो तुम,
खुद को हराने का खेल अब बंद करो तुम।

हर मौका लो, हर कदम बढ़ाओ,
जो चाहिए, बस वो हासिल कर जाओ।



मेरा मध्‍य बिंदु

जब नींद अभी आई नहीं, जागरण विदा हुआ, उस क्षण में मैंने स्वयं को महसूस किया। न सोया था, न जागा था मैं, बस उस मध्‍य बिंदु पर ठहरा था मैं। तन श...