खोज 2

**खोज में**:

चल रहा हूं, खोज में नई दिशा की,
धुंधले सफर में, मेरी राह है विचरणीय।

छोटी-छोटी गलियों से, बड़ी-बड़ी राहों तक,
हर कोने में छुपा, एक अनोखा राज़ है।

शब्दों की गहराई, भावनाओं का संगम,
समझ में नहीं आता, कौन सा है सही मार्ग।

हिंदी की मिठास, इंग्लिश का जादू,
भाषाओं की खोज में, नया रंग है प्राप्त।

सपनों की ऊँचाइयों में, खोजता हूं हीरे को,
सोने की खान में, खोजता हूं स्वर्णिम मोर।

धीरे-धीरे सीखता हूं, नए सफर का सच,
खुद से मिलता हूं, हर कदम पर खुदा।

जाने में ही रहूं, बस में ही रहूं,
खोजता हूं अपने आत्मा को, नई दिशा में।

बात जमाने की नहीं, खोज में हूं अपनी,
सही कदम, गलत कदम, सब को मिलाकर बढ़ता हूं।

जीवन की रोशनी, हर पल में जगमगाती है,
खोज में हीरे को, सोने का सच खोजता हूं।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...