एक रिश्ता

एक अजीब सा रिश्ता है
संग उसके
 रिश्ता वो जो न उसने बनाया
 न मैंने बनाया
बस बातों ही बातों में बन गया
कुछ उसकी नादानियाँ
कुछ मेरी मासूमियत
दोनों ने मिलकर ऐसा
समा बांघा कि सबकी जुबां पर
हमारा नाम आ गया
पर लड़ते झगड़ते हैं हम
उसी में कुछ खुशी है
और वही तो एक रिश्ता है 

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...