खुद को अयोग्य मत मानो



जब तुम खुद को नकारते हो,
तुम यह मान लेते हो कि असंभव कुछ भी नहीं है।
तुम्हारी मंज़िल दूर लगेगी,
जब तक तुम खुद पर विश्वास नहीं करोगे, तब तक वह बहुत दूर लगेगी।

हर कदम को चुनौती मानो,
सपनों को हकीकत में बदलने की राह पर चलो।
तुम खुद के सबसे बड़े दुश्मन हो,
अगर तुमने खुद को नकारा, तो सफलता को कैसे पा सकते हो।

याद रखो, असंभव वही है जो तुमने खुद तय किया हो,
जब तक तुम संघर्ष कर रहे हो, तुम रास्ते पर हो।
विश्वास रखो, आत्मविश्वास से हर कदम बढ़ाओ,
तुम्हारी मेहनत और विश्वास ही तुम्हारे सपनों को साकार कराएगा।

खुद को अयोग्य मत समझो,
तुम वही हो जो खुद को मानते हो।


"प्रेम का दिव्यता रूप"

प्रेम ही असली चीज़ है, जहाँ मन का हर बीज है। कामनाओं से परे की धारा, जहाँ आत्मा ने खुद को पुकारा। जब स्पर्श हो बिना वासना की छाया, तो प्रेम ...