चल रहा हूं, नए सफर की ओर, 2

चल रहा हूं, नए सफर की ओर,
भावनाओं की लहर में बहता, मैं खोया हूं बहुत दूर।

नई दिशा की तलाश में, हर कदम पर अनुभवों की गहराई,
समझौतों की सीमा को छोड़, उत्साह से भरा है मेरा मन।

हिंदी की मिठास, इंग्लिश की गहराई,
भाषाओं का संगम, नई सोच की प्रेरणा है।

सफर में ही रहूं, अपनी मंजिल को चाहता हूं,
सपनों की खोज में, नया जीवन बसाने का संग।

शब्दों का सागर, विचारों की लहर,
कल्पनाओं की उड़ान, अगले सफर की प्रेरणा है।

चल रहा हूं, नए सफर की ओर,
आत्म-संवाद में, अपनी पहचान की खोज में।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...