आशा और आकांक्षा

आशा और आकांक्षाओं से  भरी जिंदगी
यूं ही चलते चलते चल रही है
 आधी पूरी जिंदगी पल पल बदल रही है
फिर भी ख्वाब उमंगों का आँचल  ओढ़े
गौते लगा रही है हवाओं में
एक दशक तो कट गया
अब एक नया सफर है
जहाँ आशा और आकांक्षाओं से
 भरी आँखें टकी टकी  लगाये
निहार रही है मुझको  

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...