दयालु होना एक ताकत है, यह तुम्हारी पहचान है,
लेकिन जब खुद को खोकर जीते हो, तो यह बोझ बन जाती है।
कभी समझो, सच्ची दया का मतलब है,
दूसरों को सशक्त करना, खुद को न खोना है।
बहुत अच्छा बनना नहीं, बल्कि समझदारी से जीना है,
सीमाएं तय करना, यह आत्म-सम्मान है।
तुम दूसरों का ख्याल रख सकते हो, बिना खुद को खोए,
अपनी ऊर्जा की रक्षा कर सकते हो, और प्यार भी दे सकते हो।
कभी यह महसूस करो कि तुम्हारी भी कोई जरूरतें हैं,
तुम भी इंसान हो, तुम्हारी खुशियाँ भी मायने रखती हैं।
दयालुता और सीमाओं के बीच का संतुलन,
यह जीवन का सच्चा रास्ता है, जो दिल से निकलता है।
तुम दूसरों से प्यार कर सकते हो, बिना खुद को कम किए,
अपनी प्राथमिकताओं को समझकर, सच्ची शांति पा सकते हो।
यह संतुलन ही तुम्हारी ताकत बनेगा,
तुम्हारी सच्ची दया और प्यार को पूरी तरह से जीने देगा।
आओ, यह समझो, खुद को भी उतना ही प्यार करो,
जितना तुम दूसरों से करते हो।
दयालुता शक्ति है, पर खुद की सीमाएं जानो,
तभी तुम अपने अस्तित्व को पूरी तरह से पहचान पाओ।