मैं ख़ुद को सुधारूँ,



मैं ही अपनी ज़िंदगी का सबसे बड़ा महत्व हूँ,
किसी को यह कहने का हक नहीं, कि मैं कम हूँ।

अगर मैं खुद को सुधारता हूँ,
तो दुनिया में सबसे आगे रहूँगा, और लोग मेरी राह पर चलेंगे।

मैं अपनी अंदर की ताकत को पहचानता हूँ,
जो कभी किसी ने मुझमें नहीं देखा, वही अब दिखाता हूँ।

मैं सिर्फ़ दूसरों को नहीं, खुद को भी रास्ता दिखाता हूँ,
क्योंकि जब मैं सही होता हूँ, तो मुझसे बड़ा कोई नहीं होता।

मैं ख़ुद को सुधारूँ, और दुनिया मेरे कदमों में होगी,
मैं ही अपनी ज़िंदगी का सबसे बड़ा नायक हूँ, यही सच्चाई है।


मेरा मध्‍य बिंदु

जब नींद अभी आई नहीं, जागरण विदा हुआ, उस क्षण में मैंने स्वयं को महसूस किया। न सोया था, न जागा था मैं, बस उस मध्‍य बिंदु पर ठहरा था मैं। तन श...