हर नियम में छुपा होता है कोई राज़,
जहाँ हर सच का अपना होता है एक मज़ा।
लोग कहते हैं, "यह है सही, वही है गलत,"
लेकिन हर रास्ते में होता है एक अदृश्य उलझन, एक छिपा पलट।
जो कहे "कभी नहीं", वही पलट कर दिखाए,
जो कहे "हमेशा", कभी नहीं तोड़े वो लकीरें।
समझो, हर नियम का एक मख़ौल होता है,
उसमें छिपे होते हैं फैसले, जो दिल के पास होते हैं।
कभी एक सवाल होता है जो सबको खटकता है,
"क्या ये सच है?" हर नियम के पीछे एक डर छुपा होता है।
कभी एक अपवाद आता है, जैसे चाँद की चाँदनी,
वो नियम तोड़ता है, पर खूबसूरती की छाँव में।
तो हाँ, हर नियम के होते हैं कुछ अपवाद,
जो उसे और दिलचस्प बना देते हैं, बिन किसी ग़लत या सही के ख्वाब।
कभी हमें खुद ही तय करना होता है,
कहाँ तोड़ें नियम, और कहाँ उसे सिर्फ समझना होता है।