घर से बाहर, बाहर से घर,

घर की चादर में बुद्धिमानी की छाया,
बाहर की धूप में विश्वास की लहराहट।
अनुभवों का सफर, घर की छाँव में,
अन्तरंग स्थिति, बाहर के रंगों में।

घर की आगोश में स्नेह की गहराई,
बाहर की भीड़ में मिलता है नया राही।
घर की शांति, बाहर की गहराई,
एक साथ हैं, यही है जीवन की सजीवता।

बाहर की धूप में उम्मीद की किरण,
घर की चादर में प्रेम का अनमोल मणि।
जीवन की मंजिल, बाहर और अंदर,
हर मोड़ पर, है साथ, यही है सत्य का संदर्भ।

घर से बाहर, बाहर से घर,
जीवन का सफर, हर कदम पर एक अद्भुत परिवार।
संतुलन में सौंदर्य, एकता का संगम,
यही है मेरा घर, यही है मेरा धरोहर।

आधी-अधूरी आरज़ू

मैं दिखती हूँ, तू देखता है, तेरी प्यास ही मेरे श्रृंगार की राह बनती है। मैं संवरती हूँ, तू तड़पता है, तेरी तृष्णा ही मेरी पहचान गढ़ती है। मै...