गम की लहरों में डूब कर नहीं,

गम की लहरों में डूब कर नहीं,
गम के साथ खेलकर मुस्कान में जीना सीखा है।
जीवन की राहों में फिर से चल पड़े,
नई सुबह की किरणों में खुद को पाना सीखा है।
राहों में मैंने अपना सफ़र जारी किया,
मुसाफिर हूं, ज़िन्दगी के गीतों को गुनगुनाना सीखा है।
उठना, जाना, उड़ान भरना चाहता हूं,
क्योंकि जीने का मतलब, सपनों को पूरा करना सीखा है।

गम का सागर है, लहरें उसमें बहुत हैं,

गम का सागर है, लहरें उसमें बहुत हैं,
पर साथी, तू भी तैर, नई किनारे की तलाश में।
गम का पहाड़ है, ऊँचा और विशाल है,
लेकिन हौसला मत हार, नयी राह पे है सफ़र में।
तू मुसाफिर है इस ज़िंदगी के सफ़र में,
रुक, सोच, और फिर चल, नई उड़ान की तलाश में।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...