अब मैं अपनी क़ीमत जानता हूँ


अब मैं अपनी क़ीमत जानता हूँ,
हर मुस्कान के पीछे का समझौता छोड़ चुका हूँ।
जो अपना था, वो समझेगा,
जो दिखावा था, वो बिखर जाएगा।

मैं अब किसी की ख़ुशी के लिए
अपने पैमाने नहीं घटाऊँगा।
जो मेरी रोशनी में अंधा था,
उसे अब जगमगाना नहीं सिखाऊँगा।

कुछ चेहरे नए रूप धरेंगे,
कुछ कदम दूर हो जाएँगे,
पर जो सच्चे थे, वे ठहरेंगे,
बाकी अपने रंग दिखाएंगे।

अब कोई उधार की इज़्ज़त नहीं चाहिए,
न ही झूठी तालियों का भार।
जो मुझे दिल से समझेगा,
बस वही होगा मेरा संसार।


त्याग और तपस्या

त्याग और तपस्या की राह मैंने अपनाई,
संघर्ष की धूप में खुद को तपाया।

सोचा था मंज़िल की चमक मिलेगी,
मगर किस्मत ने रास्ता ही बदल डाला।

आधी-अधूरी आरज़ू

मैं दिखती हूँ, तू देखता है, तेरी प्यास ही मेरे श्रृंगार की राह बनती है। मैं संवरती हूँ, तू तड़पता है, तेरी तृष्णा ही मेरी पहचान गढ़ती है। मै...