त्याग और तपस्या

त्याग और तपस्या की राह मैंने अपनाई,
संघर्ष की धूप में खुद को तपाया।

सोचा था मंज़िल की चमक मिलेगी,
मगर किस्मत ने रास्ता ही बदल डाला।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...