गहरी नींद

गहरी नींद लगी थी
आँखों में
शरीर होशो हवास खो चूका था
तभी ख़याल आया
ख्यालों में खोये मन में
ख़याल ने ख्वाब को जन्म दिया
 ख्वाब ने शब्द बोया
शब्द ने वाक्यों का विस्तार किया
वाक्यों ने इतिहास गढ़ दिया
और इतिहास ने फिर से सुला दिया  

आधी-अधूरी आरज़ू

मैं दिखती हूँ, तू देखता है, तेरी प्यास ही मेरे श्रृंगार की राह बनती है। मैं संवरती हूँ, तू तड़पता है, तेरी तृष्णा ही मेरी पहचान गढ़ती है। मै...