सफर का अंत नहीं, बस निरंतर सफर में हूं,

एक अजनबी शहर, एक अजनबी जगह,
जीवन की इस सफर में, ढूँढता रहा मैं अपनी राह।

दिल की गहराइयों से, जलता रहा एक दीपक,
दीप से दीप्ति का मिलन, दिल में जागा एक उमंग का लहर।

दोस्तों की मिलन से, हुआ एक अनोखा संबंध,
जितना दूर गया, उतना ही करीब लगा यह मित्रता का बंध।

दिल में उमड़ती हैं, थोड़ी सी जलन,
दोस्तों की शोहरत, और खुद की चाहत, जिसमें छिपी है कई चुनौतियाँ।

यमुनानगर से दिल्ली का सफर, एक अनजान मन्जिल की ओर,
कुछ बात है मुझ में, जो खुद को अजनबी महसूस करा रही है, और सवाल उठा रही है, "क्या हो रहा है मेरे साथ?"

सफर का अंत नहीं, बस निरंतर सफर में हूं,
जिन्दगी के अनगिनत रहस्यों की खोज में, अपनी राह ढूंढता हूं।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...