घर

घर की चादर और बाहर की धूप,
दोनों में छुपा है जीने का रूप।

घर में है सुख, प्यार और आराम,
बाहर की धूप में है सपनों का संगम।

घर से बाहर निकलते हैं हम,
पर घर की  यादें हमें लौटाती हैं कम।

जीने की है दुनिया, यही सच है,
घर में भी खुशी, बाहर में भी राहत है।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...