दुर्भाग्य से, अधिकतर लोग
अपने शरीर से असंतुष्ट रहते हैं।
पर मैं, हाँ मैं, बहुत पतला हूँ,
फिर भी खुश, दिल से संतुष्ट हूँ।
न मोटा, न भरपूर,
बस हल्का सा, फिर भी पूरा।
जो है, जैसा है, वही पर्याप्त,
न कमी, न कोई शंका।
कभी किसी ने कहा—
“तुम बहुत पतले हो, खाओ कुछ ज्यादा।”
पर मैंने मुस्कुरा कर कहा—
"मेरे शरीर की राह यही, इसे क्यों बदलूँ?"
स्वास्थ्य मेरा साथी है,
खुशी मेरी पहचान है।
शरीर जैसा है, वैसा ठीक है,
मुझे चाहिए नहीं कोई दूसरी उम्मीद।
यह नहीं दिखाता शक्ति को,
पर दिल में असीम ऊर्जा है।
मेरे शरीर की जो सुंदरता है,
वह सिर्फ आकार नहीं, आत्मा की ठहरी हुई शांति है।
मैं पतला हूँ, पर खुश हूँ,
इसमें कोई दोष नहीं, कोई कमी नहीं।
शरीर वही है, जो मुझे चाहिए था,
और यही मेरा सबसे बड़ा वरदान है।