धर्म की सेवा


धर्म की सेवा, मोक्ष का मार्ग,
यह सत्य अनंत, यह जीवन का सार।

स्वार्थ नहीं, यह परमार्थ है,
मनुष्य का यह परम कर्तव्य है।

धर्म का पालन, जीवन का आधार,
सभ्यता का संरक्षण, संस्कृति का संस्कार।

पाप का नाश, पुण्य का सृजन,
इससे ही मिलता है सच्चा जीवन।

सेवा में है सुख, सेवा में है शांति,
धर्म की राह पर चलो, यही है सच्ची क्रांति।

मोक्ष की ओर ले जाती है यह राह,
धर्म की सेवा से होता है सच्चा निर्वाह।

अपने कर्तव्य को समझो, इसे निभाओ,
धर्म की सेवा से जीवन को उज्जवल बनाओ।

धर्म की सेवा, मोक्ष का मार्ग,
यह सत्य अनंत, यह जीवन का सार।

आधी-अधूरी आरज़ू

मैं दिखती हूँ, तू देखता है, तेरी प्यास ही मेरे श्रृंगार की राह बनती है। मैं संवरती हूँ, तू तड़पता है, तेरी तृष्णा ही मेरी पहचान गढ़ती है। मै...