"Bisexuality – भीतर की दोहरी आग"
> “जब दिल और देह दोनों को प्यार चाहिए —
न सिर्फ स्त्री से, न सिर्फ पुरुष से —
बल्कि उस ऊर्जा से, जो दोनों में है।”
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बाइसेक्सुअल होना — मतलब क्या है?
जब कोई व्यक्ति स्त्री और पुरुष दोनों की ओर भावनात्मक, शारीरिक या यौन आकर्षण महसूस करता है, तो वह खुद को बाइसेक्सुअल मान सकता है।
यह कोई कन्फ्यूजन नहीं है,
बल्कि एक बहुत गहरे स्वीकार की निशानी है।
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बाइसेक्सुअलिटी – इतिहास की नज़रों से
प्राचीन यूनान में, जैसे सॉक्रेटीज़ और प्लेटो के समय में,
पुरुषों और युवकों के बीच आत्मिक और शारीरिक संबंध सामान्य माने जाते थे।
भारत के पुराणों में भी "शिव" को अर्धनारीश्वर के रूप में दिखाया गया है –
जो संकेत करता है कि हर व्यक्ति के भीतर स्त्री और पुरुष दोनों का मेल होता है।
ओशो ने भी कहा:
> “तुममें स्त्री भी है, पुरुष भी –
अगर तुम दोनों से प्रेम कर सकते हो, तो तुम्हारा प्रेम दोगुना होगा।”
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मेरा व्यक्तिगत अनुभव – एक Bisexual मित्र की कहानी
मैं पुणे में ओशो commune के बाहर एक युवा से मिला –
वह एक कलाकार था – चित्र बनाता, संगीत बजाता और बहुत भावुक रहता।
एक शाम हमारी लंबी बातचीत हुई —
उसने कहा:
> "Deepak bhai,
जब मैं किसी पुरुष को देखता हूँ, तो उसकी ऊर्जा मुझे आकर्षित करती है,
और जब किसी स्त्री को देखता हूँ, तो उसका सौंदर्य मुझे मोहित करता है।
मैं दोनों से प्रेम करना चाहता हूँ –
क्या ये गलत है?"
उसकी आँखों में सवाल नहीं,
बस एक चाह थी — कि उसे कोई जज ना करे।
मैंने बस इतना कहा:
> "तू वही कर, जो तुझे भीतर से सही लगे —
क्योंकि प्रेम कभी गलत नहीं हो सकता।"
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मनोविज्ञान और बाइसेक्सुअलिटी
1. Fluid Orientation:
कई मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि sexuality कोई rigid identity नहीं,
बल्कि यह समय और अनुभवों के साथ बदल सकती है।
2. Kinsey Scale:
सेक्सोलॉजिस्ट Alfred Kinsey ने 0 से 6 तक एक स्केल बनाई —
जहाँ 0 = पूरी तरह straight
और 6 = पूरी तरह homosexual
और इसके बीच के नंबर bisexual spectrum को दर्शाते हैं।
3. Identity vs Behavior:
कोई bisexual हो सकता है लेकिन सिर्फ opposite sex से संबंध बनाता हो —
इसका मतलब यह नहीं कि उसकी पहचान झूठी है।
क्योंकि भावना और व्यवहार में फ़र्क होता है।
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भारत और Bisexuality – वर्जनाएं और बदलाव
भारत में अभी भी bisexuality को ठीक से स्वीकार नहीं किया गया है।
लोग या तो confused समझते हैं, या attention-seeker।
LGBTQIA+ मूवमेंट में भी bisexuality की representation कम है।
लेकिन धीरे-धीरे Urban spaces और Youth groups में ये चर्चा में आने लगा है।
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ओशो का दृष्टिकोण
> “तुम अगर सच में खुलोगे —
तो पाओगे,
तुम्हारा प्रेम न तो सिर्फ एक शरीर से है,
न एक लिंग से।
वह ऊर्जा से है — और ऊर्जा का कोई gender नहीं होता।”
ओशो ने sexuality को केवल देह का नहीं,
बल्कि आत्मिक विकास का द्वार माना।
उनकी commune में कई bisexual लोगों को मैंने खुलकर जीते देखा —
बिना डर, बिना शर्म, बस प्रेम और स्वीकृति के साथ।
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बाइसेक्सुअलिटी के फायदे और चुनौतियाँ
फायदे:
गहराई से स्वयं को जानने की क्षमता
दो तरह की ऊर्जा (masculine & feminine) को अनुभव करने का मौका
समाज में बदलाव लाने की प्रेरणा
चुनौतियाँ:
समाज का भ्रम और अस्वीकार
दोनों gender के पार्टनर से ईमानदारी निभाने की जिम्मेदारी
खुद को “confused” कहे जाने की पीड़ा
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अंत में...
बाइसेक्सुअल होना किसी दुविधा का नाम नहीं,
बल्कि यह एक प्रेम का विस्तार है —
जहाँ दिल और देह सिर्फ एक लिंग से नहीं बंधते।
तुम कौन हो, किससे प्रेम करते हो,
ये तुम्हारी आत्मा तय करे —
ना कि समाज के डर।
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