सुधार की यात्रा: आघात और उबरना


उबरना कोई स्विच पलटने जैसा नहीं,
यह एक गहरी, चुपचाप चलने वाली यात्रा है।
आघात ने मेरे दिमाग की परिभाषा बदल दी,
मेरी सोच, मेरी प्रतिक्रिया, मेरी दुनिया की सुरक्षा—
सब कुछ फिर से सीखने की ज़रूरत है।

यह नहीं कि मैं बस आगे बढ़ जाऊं,
यह एक नई शुरुआत है, जहां मुझे पुरानी बातों को भूलना नहीं है।
मैंने अपनी पुरानी धारा को छोड़ने की कोशिश की,
लेकिन आघात ने मुझे नए रास्ते पर चलने की ज़रूरत दी।

हर दिन एक संघर्ष है,
अपने विचारों और संवेदनाओं को समझने की कोशिश,
समझना है क्यों मेरी प्रतिक्रिया अलग है,
क्यों मुझे दुनिया असुरक्षित महसूस होती है।

मैंने जाना है, उबरना केवल "आगे बढ़ना" नहीं,
यह एक गहरी प्रक्रिया है,
जहां मुझे खुद को फिर से सिखाना है,
जहां मुझे नए तरीके से जीने की कला सीखनी है।

आघात को सिर्फ़ भूलना नहीं है,
यह उसे समझने और अपनी शक्ति से जोड़ने की बात है।
मुझे हर दिन अपने आप से सवाल करना है,
क्योंकि उस दर्द ने मुझे मजबूत बनाया है,
लेकिन अब मैं उसे नियंत्रित नहीं होने देता।

समय चाहिए, बहुत धैर्य चाहिए,
क्योंकि यह जो दर्द है, वह मुझे फिर से जीवित करता है।
हर चोट, हर घाव, मुझे नया रास्ता दिखाता है,
मुझे यह समझने का समय चाहिए कि
आघात और उबरना मेरे भीतर ही हैं,
और यही मेरी यात्रा है, जो हर किसी के लिए अलग है।

तो मैं कहता हूँ,
उबरना कोई अदृश्य यात्रा नहीं,
यह मेरे भीतर गहरी घावों को समझने और उन्हें सशक्त बनाने की प्रक्रिया है,
जो दुनिया कभी नहीं समझ सकती,
लेकिन जो मुझे पूरी तरह से नया बनाता है।


आघात

आघात एक गहरी यात्रा

आघात ने मेरे दिमाग को गहरे से बदल दिया,
यह केवल एक घाव नहीं, बल्कि एक नया आकार है,
जो सोचने का तरीका, प्रतिक्रिया देने का तरीका—
सब कुछ नए सिरे से लिखने की ज़रूरत होती है।

यह कोई ऐसी चीज़ नहीं है, जिसे मैं रातोंरात छोड़ दूँ,
यह वो गहरी छाया है, जो हमेशा साथ रहती है।
चंगाई का मतलब भूल जाना नहीं,
यह समझना है, महसूस करना है, और साथ जीना है।

हर दिन एक नया संघर्ष है,
आघात की गहरी धारा से निकलने की कोशिश,
यह कोई आसान रास्ता नहीं है,
यह उस दर्द को अपने भीतर स्वीकार करने की प्रक्रिया है।

मैं जानता हूँ, यह सिर्फ़ आगे बढ़ने का सवाल नहीं,
यह उस दर्द को समझने, उसे आत्मसात करने और
उससे नहीं डरने की कोशिश है।
यह नहीं कि आघात को हरा दिया,
बल्कि उसे अपने अस्तित्व का हिस्सा बना लिया है।

तो मैं कहता हूँ,
चंगाई का मतलब केवल छोड़ देना नहीं,
यह उस दर्द को बिना नियंत्रण के साथ जीना है,
इसमें समय लगता है, समझने का समय,
तभी हम उसे अपनी ताकत बना सकते हैं।


आधी-अधूरी आरज़ू

मैं दिखती हूँ, तू देखता है, तेरी प्यास ही मेरे श्रृंगार की राह बनती है। मैं संवरती हूँ, तू तड़पता है, तेरी तृष्णा ही मेरी पहचान गढ़ती है। मै...