समय की रफ्तार में बंधे,

समय की रफ्तार में बंधे,  
हम हर पल की दौड़ में,  
मिलते हैं मंजिल के करीब,  
जब सीमाएं बुनते हैं।

कागज़ पर लकीरें खींची,  
सपनों को सच करना है,  
डेडलाइन का पहरा सख्त,  
काम को पूरा करना है।

रातों की नींदें छीन लेती,  
जिंदगी की चाल को,  
पर मेहनत का फल मीठा,  
सजाता है जीवन के हाल को।

संग्राम में जुटे हम,  
लक्ष्य के संग्राम में,  
हर पल की क़ीमत समझते,  
समय के इस आयाम में।

डेडलाइन की डोर थामे,  
हम बढ़ते निरंतर हैं,  
हार न माने कभी,  
जीत की रचना करते हैं।

समय को साधना सीखते,  
जीवन को सफल बनाते,  
डेडलाइन की कसौटी पर,  
अपने सपनों को सजाते।

आधी-अधूरी आरज़ू

मैं दिखती हूँ, तू देखता है, तेरी प्यास ही मेरे श्रृंगार की राह बनती है। मैं संवरती हूँ, तू तड़पता है, तेरी तृष्णा ही मेरी पहचान गढ़ती है। मै...