क्षणों की आभा





जब मैं चला जाऊंगा, तुम आएंगे मेरी यादों में,
मुझसे मिलने का अवसर क्यों गवां बैठे हो इस पल में।
क्षमा का स्पर्श अभी दे जाओ, जो बीते कल की गलती हो,
क्योंकि हो सकता है, यह समय फिर से न लौटे।

मृत्यु के बाद मेरी अच्छाई कहोगे जो मेरे पास न पहुंचे,
उससे अच्छा, आज ही प्रेम से कह दो मेरे समीप बैठे।
क्यों देर करो प्रतीक्षा में, इस पल की महिमा समझो,
साथ बिताओ आज ही, मन की शांति में रमण करो।


मृगतृष्णा

मृगतृष्णा के इस वीराने में   दिल का दरिया बहक रहा है,   तृष्णा के इस नशे में खोकर   हर इक सपना भटक रहा है।   आस का दीप बुझने को है,   साँस क...