क्षणों की आभा





जब मैं चला जाऊंगा, तुम आएंगे मेरी यादों में,
मुझसे मिलने का अवसर क्यों गवां बैठे हो इस पल में।
क्षमा का स्पर्श अभी दे जाओ, जो बीते कल की गलती हो,
क्योंकि हो सकता है, यह समय फिर से न लौटे।

मृत्यु के बाद मेरी अच्छाई कहोगे जो मेरे पास न पहुंचे,
उससे अच्छा, आज ही प्रेम से कह दो मेरे समीप बैठे।
क्यों देर करो प्रतीक्षा में, इस पल की महिमा समझो,
साथ बिताओ आज ही, मन की शांति में रमण करो।


मानव स्वर्ग की खोज



हमारे पास है धन, शक्ति और विज्ञान,
चिकित्सा का ज्ञान और प्राचीन प्रमाण।
समुदाय में प्रेम, सह-अस्तित्व का भाव,
फिर क्यों अंधकार में डूबा यह स्वभाव?

सर्वत्र है साधन और सामर्थ्य का भंडार,
फिर भी अधूरा क्यों है जीवन का संसार?
विज्ञान ने सुलझाए रोगों के जाल,
फिर क्यों अधूरी है मानव की चाल?

जो ज्ञानी हैं, उनके हाथ में होनी थी डोर,
पर सत्ता संभाली है जिनका चेतना से नहीं जोर।
वे मूढ़, अविवेकी, और अज्ञानी हैं,
न कोई दृष्टि, न उद्देश्य महान हैं।

सर्वे भवन्तु सुखिनः का सपना अधूरा,
धर्म का अर्थ बना राजनीति का फंदा।
जहां होनी थी मुक्ति, वहां बंधन ही बंधन,
भ्रष्ट सोच ने हर दिल में भरा क्रंदन।

पर क्या यह अंत है, या एक नई शुरुआत?
क्या जागेगा मानवता का विराट?
जहां हर जीवात्मा हो आनंदमय,
जहां प्रज्ञा का हो मार्ग प्रशस्तमय।

आओ, चलें उस सत्य की ओर,
जहां करुणा हो हर हृदय का शोर।
जहां योग और ध्यान बने आधार,
जहां हो मानवता का नया संसार।

क्योंकि हमारे भीतर है वह शक्ति अपार,
बस चाहिए धैर्य, और संकल्प का संचार।
जो अंधकार में हैं, उन्हें मार्ग दिखाएं,
मानव स्वर्ग की ओर कदम बढ़ाएं।


चांदनी रात का सौंदर्य


चांदनी रात का सौंदर्य, निखरता आसमान,  
सितारे झिलमिलाते, जैसे सपनों का जहान।  
शीतल पवन का स्पर्श, मन को करता मौन,  
प्रकृति के इस संगीत में, हर दिल हो अनमोल।  

नदिया की लहरों पर, चमके चांद की किरण,  
हर बूंद में बसा है, जैसे प्रेम की सुगंध  
पेड़ों की परछाइयों में, सजीले से छंद,  
हर कोने में गूंजता, प्रकृति का आनंद।  

चिरई की नींद गहरी, फूलों पर ओस का बसेरा,  
धरती ने ओढ़ी चादर, सितारों से घेरा।  
ऐसी रात में मन, हो जाए आत्मविभोर,  
चांदनी के साथ बहें, खुशियों के झरने की ओर।  

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...