प्रकृति

प्रकृति मात्र एक भौतिक संरचना नहीं है,
यह एक पावन उपस्थिति है जो स्वचेतन ब्रह्मांड के
सभी रहस्यों और स्तरों को प्रकट करती है।

बिना प्रकृति को जाने हम स्वयं को नहीं जान सकते,
प्रकृति की गोद में ही हमारे अस्तित्व का हर पहलू छुपा है।
हर फूल, हर पत्ता, हर झरना हमें कुछ कहता है,
स्वयं के भीतर झांकने का अवसर हमें देता है।

वृक्षों की फुसफुसाहट, नदियों की कलकल,
पक्षियों का संगीत, और हवाओं का मधुर स्पर्श,
सब मिलकर हमारे भीतर की शांति को जगाते हैं,
हमें हमारी सच्चाई से रूबरू कराते हैं।

प्रकृति का हर रंग, हर रूप,
हमारी आत्मा का प्रतिबिंब है।
बिना इसे पहचाने, बिना इसे अपनाए,
हम अपने अस्तित्व को कैसे समझ सकते हैं?

प्रकृति का सम्मान करें, उसकी पूजा करें,
क्योंकि यह केवल एक भौतिक संरचना नहीं,
यह हमारी आत्मा का आईना है,
हमें हमारे असली स्वरूप का बोध कराती

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...