जो हुआ वो होना था


जो भी हुआ, वो होना था, ये किस्मत का खेल था,
दर्द और आंसू, उसका ही हिस्सा थे, ये वही सच्चा मेल था।

तुम्हें मौका मिला खुद को साबित करने का,
लेकिन उसका कीमत है ये दर्द और ग़म का सहना।

जो करोगे तुम, उस दर्द से, वही तय करेगा,
अगर तुम उसे नफरत और ग़ुस्से से भरोगे, तो वो तुम्हें निगल जाएगा।

अगर उसे इंजन बना लो, और अपनी ताकत में बदल दो,
तो वो दर्द तुम्हें अजेय बना देगा, हर मुश्किल को पार कर दो।

क्योंकि दर्द वही है,
फर्क सिर्फ इतना है, तुम उसे कैसे झेलते हो।


"प्रेम का दिव्यता रूप"

प्रेम ही असली चीज़ है, जहाँ मन का हर बीज है। कामनाओं से परे की धारा, जहाँ आत्मा ने खुद को पुकारा। जब स्पर्श हो बिना वासना की छाया, तो प्रेम ...