कोई

**शायरी**

धूप में साया बन जाए कोई,
प्यास में दरिया बन जाए कोई।
जीवन के सफर में जब अकेले हों हम,
तो हमसफ़र बन जाए कोई।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...