सफर में हूं, निरंतर सफर में,

एक दीपक जलता है, दिल से दीप्ति का मिलन,
सिनेमा की दुनिया में, पहली बार की मिलन।

नई रोशनी की धुंध में, उमंग उठती है जी,
कुछ अनजाने सी बातों में, दिल खोजता है अब नई दिशा।

दोस्ती की मिठास, थोड़ी जलन सी,
दिल जुड़ रहा है, और कहीं दिल टूट भी रहा है।

अपने आप से लड़ाई, या दोस्तों से ये जंग,
सफर की राहों में, खोजता है अपने असली रंग।

यमुनानगर से दिल्ली, सफर में जो हूं,
कुछ अलग सी बातें, सबको है ये हूंकार सुन।

सफर की ये बातें, जो मेरे साथ हैं,
क्या हो रहा है, ये सबको बताना चाहता हूं।

इस सफर में हूं, निरंतर सफर में,
खोजता हूं, अपने सपनों की मंजिल में।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...