चाँदनी भी ने किया गहरा सवेरा।
धूप में जलती है मन की प्यास,
बरसात में बहती है आँसू की नदी।
यादें जलती हैं सूरज की तपिश में,
कभी दर्द की चादर में, कभी तन्हाई की रात में।
सूरज यारा, तू गम का हारा,
मुझे तो जाना ही होगा, इस राह पर अकेला तेरा।
मैं दिखती हूँ, तू देखता है, तेरी प्यास ही मेरे श्रृंगार की राह बनती है। मैं संवरती हूँ, तू तड़पता है, तेरी तृष्णा ही मेरी पहचान गढ़ती है। मै...