अक्स

जो चाहा था, वो पा न सका,
जो पाया, उसमें तेरा अक्स न था।
तेरी यादों से इतर कुछ भी नहीं,
मेरी मोहब्बत का मुकाम बस यही था।

टूटकर भी मैंने तुझे चाहा,
हर दर्द को तेरे नाम से निभाया।
जो लफ़्ज़ जुबां पर आ न सके,
वो आँसू बनकर कागज़ पर बहाया।

तेरे ख्यालों का ये शोर,
दिल के हर कोने में भरता है जोर।
हर रात तेरे सपनों के सहारे कटती,
सुबह कदम बढ़ते हैं तेरी यादों की ओर |

चाहा कि भूल जाऊं तुझे,
इस दिल से मिटा दूं तेरा हर निशां।
मगर दिल की गहराई में तू बसा है,
जैसे बारिश में मिट्टी की सोंधी सी धरा।

तू मेरे वजूद का हिस्सा है,
हर धड़कन में तेरी सिसकी है।
तुझसे दूर रहकर भी,
हर पल तेरी मौजूदगी की तस्कीन है।

मेरे अश्क तेरी मोहब्बत के गवाह हैं,
जिन्हें कोई पढ़ न सका।
टूटकर बिखर गया इस कद्र,
चाह कर भी न तुझे चाह सका।

ये जिंदगी बस तेरे नाम लिखी है,
तेरी यादों का ग़म ही मेरी खुशी है।
तू पास न सही, मगर हर पल है,
यही मेरी मोहब्बत की आखिरी बसी है।


तुम्हें मालूम है, कौन हो तुम



तुम्हें मालूम है, कौन हो तुम,
वो परछाईं जो उजालों से डरती रही हरदम।
जब मैंने खुद को जलाकर राह तुम्हारी बनाई,
तुमने मेरी ही मंज़िल पर धूल उड़ाई।

तुमने अपने चेहरे पर नकाब पहने रखे,
सच के नाम पर झूठ के धागे बुनते रहे।
पर जान लो, समय के आईने में सब साफ़ होगा,
तुम्हारा छल, तुम्हारा डर, तुम्हारा हर धोखा।

तुमने सोचा, मेरे सपने रुक जाएंगे,
तुम्हारे नफ़रत के जाल में उलझ जाएंगे।
पर सुन लो, मेरी आग कभी बुझती नहीं,
सत्य की लौ है ये, जो झुकती नहीं।

तुम्हें मालूम है, कौन हो तुम,
वो नकली साथी, जो सिर्फ़ नाम के संगधारी।
तुम्हारी याद अब मुझे और मजबूत करेगी,
तुम्हारी हर चोट मेरी उचाई को छुएगी।

तो लो, अब जियो अपनी बेईमानी के साथ,
मैं बढ़ चला हूँ अपनी सत्य की राह।
तुम हो सिर्फ़ कहानी, वक्त के किसी पन्ने पर,
और मैं वो सच्चाई, जो हर युग में जिंदा रहे।


आधी-अधूरी आरज़ू

मैं दिखती हूँ, तू देखता है, तेरी प्यास ही मेरे श्रृंगार की राह बनती है। मैं संवरती हूँ, तू तड़पता है, तेरी तृष्णा ही मेरी पहचान गढ़ती है। मै...