"Gay Pati, Sanskari Biwi – Ek Modern Marriage ka Raaz"
(जब रिश्ते समझ से चलते हैं, सेक्स से नहीं)
यह कहानी है स्वाति की, जिसकी ज़िंदगी की किताब में प्यार, समझौता, और सच्चाई तीनों की इबारतें दर्ज हैं।
मैं स्वाति से पहली बार पुणे के एक साहित्य फेस्टिवल में मिला था।
सीधी-सादी, संस्कारी साड़ी पहने, आँखों में गहराई और चेहरे पर मुस्कान। वो भी एक राइटर है।
जब मैंने उसे अपने ब्लॉग के बारे में बताया, तो उसने धीरे से कहा:
> “मुझे भी कुछ कहना है... लेकिन बस, नाम मत लिखना। इसलिए इस कहानी में दोनों नाम मैने बदल दिए हैं। स्वाति और रवि दोनों नाम काल्पनिक हैं but कहानी real है।
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उसकी कहानी उसी की ज़ुबानी:
> “मेरी शादी अरेंज थी। रवि एक समझदार, शांत और cultured लड़का था।
सबकुछ ठीक था — पर कुछ ‘missing’ था।
> शादी के 8 महीने बाद एक रात उसने मुझे गले लगाकर कहा –
‘मैं gay हूं।’
और मैं... एकदम सन्न। पर गुस्सा नहीं हुआ, क्योंकि मैंने उसकी आंखों में डर देखा था – टूट जाने का डर।”
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क्यों नहीं टूटा ये रिश्ता?
> “मैंने उसे नहीं छोड़ा, क्योंकि वो झूठ में नहीं जीना चाहता था।
उसने मुझे धोखा नहीं दिया, बल्कि सच बोलकर मुझे अपना बनाया।
> और मैंने फैसला लिया –
हम दोनों एक साथ रहेंगे, बिना उस दबाव के जिसे समाज ‘शादीशुदा रिश्ता’ कहता है।”
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Modern Arrangements, Indian Values:
स्वाति और रवि ने तय किया कि वे एक-दूसरे के ‘life partners’ बने रहेंगे –
बिना सेक्स के, पर एक दोस्ती, एक भरोसे के बंधन में।
> “अब हम एक-दूसरे को date करने की इजाज़त भी देते हैं।
रवि किसी लड़के से मिले तो मैं उस लड़के से बात भी करती हूं –
और मैं जब किसी पुरुष के करीब जाऊं, रवि मुझे बस एक हँसी के साथ आशीर्वाद देता है।”
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क्या ये Marriage है? या समझौता?
> “ये शादी नहीं, companionship है।
जहां सेक्स एक ऑप्शन है, बाध्यता नहीं।
मैं कभी तलाक नहीं चाहती थी — मुझे जीवनसाथी चाहिए था, जिसपर मैं भरोसा कर सकूं। और रवि ने वो भरोसा दिया।”
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ऐसे रिश्ते कितने होते हैं?
आज भारत में LGBTQIA+ समुदाय को लेकर legal बदलाव आए हैं —
लेकिन ground reality ये है कि ऐसे modern arrangements अब भी rare हैं।
परंतु जो couples emotional maturity और openness रखते हैं, वो इन रास्तों पर भी चलते हैं।
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क्या पुराने ग्रंथों में ऐसे उदाहरण मिलते हैं?
महाभारत में शिखंडी का चरित्र — एक gender-fluid identity को दर्शाता है।
कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी अलग-अलग प्रकार के संबंधों का वर्णन मिलता है।
तंत्र परंपराओं में यौन इच्छाएं suppression नहीं, sublimation की ओर मोड़ने की बात की गई है।
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मेरी राय:
कई बार शादी दो जिस्मों का मेल नहीं, दो आत्माओं का समझौता होती है।
रवि और स्वाति जैसे लोग हमें यह सिखाते हैं कि प्यार में ‘सच’ सबसे बड़ा उपहार होता है।
भले ही वो सच थोड़ा असहज हो।
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