#### अनंत ख्वाहिशें

Here's a poem in Hindi inspired by the themes:  keeping it within tasteful boundaries:

#### अनंत ख्वाहिशें

दिन रात चलती हैं ये ख्वाहिशें,
सपनों में लिपटी अनंत आशाएँ।
हर पल, हर सांस में बसे,
वो रूह की गहराइयाँ।

संगम का लम्हा, मस्ती की कहानी,
जब दो दिल मिलते हैं, होती एक रवानी।
आँखों की चमक, होंठों की मुस्कान,
छूने से पहले ही हो जाती पहचान।

भीड़ में मिलती कभी अनजान राहत,
साथ गुज़ारें वो हसीन रातें।
मोहब्बत के संग, उड़ानें हज़ार,
हर चाहत की पूरी हो दरकार।

तृष्णा की तरह, ललकती हर चाहत,
रंगीन रातें, वो प्यारी अदावत।
एक साथ, कई साथ, ख्वाबों की ज़ंजीर,
हर रस का स्वाद, हर पल का नशा गहरा।

फिर भी दिल में बसी एक मासूमियत,
सादगी में छुपी होती एक नज़ाकत।
सपनों के शहर में, सच की उड़ान,
ख्वाहिशों की दुनिया, हर तरफ़ अरमान।

जुड़ते हैं दिल, फिर होती जुदाई,
मस्ती में लिपटी है ये ज़िंदगी की परछाई।
हर ख्वाब में, हर पल में, बसते हैं सवाल,
चाहतों के सागर में, तैरते हैं ख्याल।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...