शुरुआत का संघर्ष और निर्माण का सफर



हर ऊँचाई की शुरुआत में होता है संघर्ष,
हर सफलता के पहले जरूरी है अभ्यास।
पर केवल मेहनत में खो जाना नहीं है लक्ष्य,
बल्कि समझदारी से रचना है विजय का पथ।

शुरुआत में मेहनत है जीवन का नियम,
हर कदम पर सीखने का बनता है क्रम।
हर संघर्ष देता है अनुभव का तोहफा,
हर प्रयास जोड़ता है भविष्य का सपना।

पर केवल मेहनत ही सब कुछ नहीं है,
यह बस पहला पायदान है सफर का।
अगर ठहर गए केवल संघर्ष के फेर में,
तो खो दोगे व्यवस्थितता और सही दिशा के अर्थ में।

संघर्ष से मिलते हैं अनुभव और कुशलता,
पर इन्हें बदलो समझदारी और सरलता में।
स्मार्ट प्रणाली बनाओ अपने काम के लिए,
ताकि मेहनत न हो थकावट का सिलसिला।

जो लोग अटके रहते हैं हमेशा दौड़ में,
वे चूक जाते हैं सोच और योजना की होड़ में।
हर संघर्ष का मतलब है निर्माण करना,
ताकि कल का सफर हो थोड़ा सरल बनना।

काम शुरू करो जुनून और धैर्य के संग,
पर समझो कब उठाना है दूसरा कदम।
व्यवस्था बनाना ही असली सफलता है,
जहां काम हो आसानी से, बिना थकावट के।

शुरुआत में जलना जरूरी है थोड़ा,
पर जीवन को मत बनाओ केवल शोर का घोड़ा।
सीखो, बढ़ो, और योजनाओं को अपनाओ,
तभी असली सफलता के गीत गाओ।

तो मेहनत करो, पर दिशा भी चुनो सही,
सिर्फ भागने से नहीं, सोच से होती है बढ़त।
संघर्ष का उद्देश्य है निर्माण करना,
ताकि जीवन को सच्चे अर्थों में संवारना।


बारिश की बूंदें

यह अद्भुत है कि बारिश की एक ही धारा कभी मीठी, कभी खतरनाक, और कभी रोमांटिक हो सकती है। आपके अनुभव को ध्यान में रखते हुए, यहाँ एक हिंदी कविता है जो बारिश के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती है:

---

बारिश की बूंदें जब गिरती हैं,  
पर्वतों पर नाचतीं,  
सागर की लहरों में मिलकर,  
एक नई धुन छेड़तीं।

कभी मीठी फुहार बनकर,  
बचपन की यादें लाती,  
कभी तूफान बनकर,  
सब कुछ बहा ले जाती।

रोमांटिक पलों में,  
दो दिलों को जोड़तीं,  
फिर कहीं बाढ़ में,  
ज़िंदगी को मोड़तीं।

ये बारिश की बूंदें,  
जिनमें हर रंग समाया,  
कभी सुहानी चांदनी रात,  
कभी तूफानी घटा।

पर्वतों से लेकर सागर तक,  
मैंने हर बारिश देखी,  
उसकी अनगिनत कहानियाँ,  
अब मन में लिखी।

---

इस कविता में बारिश के विभिन्न अनुभवों और भावनाओं को संजोया गया है। आशा है आपको यह पसंद आएगी!

**बरसात की बातें**



बरसात की बूंदें, अमृत-सी मीठी,  
कभी वो आशीर्वाद, कभी वो विपत्ति।

पहाड़ों पे बर्फ़, आसमान से गिरती,  
हरी-भरी वादियाँ, मानो स्वर्ग उतरती।

सागर के किनारे, लहरों के संग नृत्य,  
अल्हड़ हवा के संग, ये प्रेम का काव्य।

कभी बनती है ये, खेतों की रक्षक,  
कभी बन जाती है, बाढ़ की जलधारा।

मस्त मलंग मन, भीगता रोमांस में,  
आशाओं की बौछार, सपनों की बंसी।

बरसात के ये रंग, कितने अनोखे,  
कभी मीठी मिठास, कभी प्रकृति का कोप।

कभी प्रेम की रात, कभी डर की रात,  
फिर भी प्यारी लगे, ये बारिश की सौगात। 

---


अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...