पहाड़ों से निकला, बदल गया मैं 2

पहाड़ों से निकला, बदल गया मैं,
सफर में सीखा, कुछ नया पाया मैं।
सब कुछ बदल रहा, हर और नया है,
पर मेरी आत्मा में, नई चाह है आई।

नए लोग, नए दोस्त, नई दिशाएं,
नया खान, नया सोना, नई राहें।
क्या मैं नया हो गया? या पुराना हूँ मैं?
कुछ भी नहीं पता, बस सपनों का विश्वास आई।

नई दिशाओं में, अपने को पहचाना,
मन में ज्यों ही, नए सपने आना।
आत्मा की ऊर्जा, नयी ऊर्जा से भरी,
आगे बढ़ते हुए, नए संघर्षों से भरी।

कुछ करने का है अब इरादा,
बड़ा सपना है, बड़ा मकसद है।
विश्वास अपने आप पर, बढ़ता हुआ,
जीवन के साथ, नया रिश्ता बुनता हुआ।

आधी-अधूरी आरज़ू

मैं दिखती हूँ, तू देखता है, तेरी प्यास ही मेरे श्रृंगार की राह बनती है। मैं संवरती हूँ, तू तड़पता है, तेरी तृष्णा ही मेरी पहचान गढ़ती है। मै...