मैं आशा करता हूँ,
कि मेरा अंत उस जीवन से हो,
जिसे मैंने पूरी तल्लीनता से जीने की कोशिश की।
उस जीवन से, जो मैंने अपने सपनों और संघर्षों से बुना,
जिसे मैंने अपने खुद के रचे हुए रास्तों पर तय किया।
मैं चाहता हूँ कि मेरी आत्मा उस गर्मी से सजी हो,
जो मैंने अपने प्रयासों में पाई,
जो मैंने अपनी गलतियों से सीखी,
और उन जिंदगियों से जुड़ी जो मेरे रास्ते पर आईं।
इस जीवन में जो भी खोया,
जो भी पाया,
उससे कहीं ज़्यादा,
मेरे प्रयासों की जो गर्मी थी,
वो मेरे दिल को छूती रही।
क्या फर्क पड़ता है
कितनी मुश्किलें आईं,
कितनी बार गिरा,
क्या फर्क पड़ता है
क्योंकि हर बार उठते हुए,
मैंने अपने जीवन को और सजीव महसूस किया।
मैं आशा करता हूँ,
कि जब मेरा समय आए,
मैं उस जीवन की गर्मी में दम तोड़ूं,
जो मैंने सच्चाई से जीने की कोशिश की,
जो मैंने अपने दिल की सुनते हुए जीने की कोशिश की।