त्याग तपस्या करके हमने करियर की राह चुनी,

त्याग तपस्या करके हमने करियर की राह चुनी,
मगर फल वही ना पाया जो मेहनत ने हमसे कहा सुनी।

सपने बुने थे सोने की चादर में लिपटे हुए,
पर हकीकत की धरती पर सब टूट कर बिखरे हुए।

मेहनत के पसीने से सींचा था अपना आशियाना,
परंतु मंज़िल ने क्यों अपना वादा ही निभाना भुला दिया।

फिर भी हार नहीं मानेंगे, ये ठान ली है हमने,
क्योंकि राह में कांटे भी हैं और मंज़िलें भी हमने देखी हैं सपने।

त्याग तपस्या का दिया मैंने हर पल,

त्याग तपस्या का दिया मैंने हर पल,
फिर भी मिल न सका मंजिल का असल फल।

मेरे जज्बातों की बगिया में सूख गए फूल,
फिर भी उम्मीद का दीप जलता रहा धुल।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...