त्याग और तपस्या

त्याग और तपस्या से करियर की राह बनाई,
मेहनत की हर कदम पर, पर मंज़िल नहीं पाई।
उम्मीदें थीं आसमान की, पर ज़मीं ही रह गई,
शायद मेरी मेहनत ने सही दिशा नहीं पाई।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...