मैंने यह समझा है कि पछतावा एक क्रूर कथा कार है,
जो वर्तमान की समझ से अतीत को फिर से लिखता है,
और तुम्हें यह यकीन दिलाता है कि तुम बेहतर कर सकते थे,
जबकि उस समय तुम्हारे पास कोई भी रास्ता नहीं था।
वह यादें, जो अब साफ दिखती हैं,
उस वक्त धुंधली थीं, अनदेखी थीं।
पछतावा तुम्हारी आँखों में नयी रोशनी भरता है,
लेकिन वह केवल एक झूठा आईना है।
क्या होता अगर… और क्यों नहीं किया…
यह सवाल तुम्हारे मन में घर बना लेते हैं,
लेकिन कभी भी अतीत को बदलने का समय नहीं आता,
क्योंकि जो कुछ भी हुआ, वही सबसे सही था।
पछतावा खुद को धोखा देने की कला है,
जो हमें यह समझने से रोकता है कि हम उस वक्त जो थे,
वो उसी वक्त के सबसे सच्चे रूप में थे।