गुलदस्ता


नही चाहिए तेरी यादों का वो गुलदस्ता

जिसमे तूने फिर से महका कर दिये हुये हैं वो फूल 

जो मुरझा गए थे ..

जब मैंने उन्हे छूने कि सोची  थी

तब जब मेरे सूखे वन में 

जरूरत थी फूलों से खिले 

 पौधों की 

जो खिला दे मेरे चमन को 

मगर जब तब न खिले 

वो फूल अब क्या करूँ  उनका 

जब मैंने अपने पतझड़ जीवन को बहार बना दिया.

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...