सांस

चल फिर उड़ा ले सांसो को  सांसों से
उस सांस में जीवन और मरण का जो बंधन  है
उसे तोड़ दे ।
प्याली जो खाली है
मदहोशी की उस में
प्रेम के बीज बोकर भर दे
रंगिनोयों से।
ओर घटक के पी जा
जो भी है उसमें चाहे तो
जहर हो या अमृत
बस पी कर पार कर
दे उस भव सागर को।

आधी-अधूरी आरज़ू

मैं दिखती हूँ, तू देखता है, तेरी प्यास ही मेरे श्रृंगार की राह बनती है। मैं संवरती हूँ, तू तड़पता है, तेरी तृष्णा ही मेरी पहचान गढ़ती है। मै...