ज़िन्दगी बुला रही है...



ज़िन्दगी बुला रही है, क्यों ठहरते हो अभी,
हर लम्हे में छुपी है ख़ुशी, तुम उसे महसूस तो करो सही।
मोहलतों में नहीं बंधा है ये समय का सफ़र,
हर सांस में बसी है एक नई उमंग, एक नया हुनर।

हँस लो, मुस्कुरा लो, इस पल का मान कर लो,
दिल की आवाज़ सुनो, अपनी पहचान कर लो।
जो बीत गया वो कल था, जो आने वाला है वो बस सपना,
आज का ये पल ही सच है, इसे खुलकर जी लो अपना।

आँखों में बसी हर चाहत को आज जिंदा कर लो,
दर्द और खुशी के हर रंग में खुद को गुम कर लो।
क्या पता फिर ये लम्हा लौटकर आये न आये,
जीवन का संगीत आज तुम्हारे लिए गाये।

सपनों को उड़ान दो, दिल को आज़ाद करो,
अपने अंदर की आग को महसूस करो, और रोशनी बरसाओ।
क्योंकि ज़िन्दगी एक दावत है, हर स्वाद का लुत्फ़ उठाओ,
हर धड़कन में प्रेम बसा है, उसे बस तुम अपनाओ।

रुकना नहीं, झुकना नहीं, क़दमों को ठहरने मत दो,
हर पल को अपने होने का एहसास करने दो।
जियो तो इस तरह कि तुम्हारी हंसी का शोर,
फिर ख़ामोशी में भी वो ख़ुशबू बनकर रहे।

तो आओ, जी भरकर खुल कर जियो,
हर पल को अपनी आत्मा में समेट लो,
क्योंकि ज़िन्दगी बुला रही है तुम्हें,
आज, अभी… बस इसी पल में खो जाओ।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...