मुझे लगता है,
हम एक अदृश्य रेखा पर खड़े हैं,
जहाँ तकनीकी विस्फोट होने को है।
हर दिन कुछ नया जुड़ रहा है,
हर पल कुछ अविस्मरणीय घटित हो रहा है।
समझ पाना मुश्किल है,
कि हम कहाँ जा रहे हैं।
हम बस गति पकड़ते जा रहे हैं,
रफ्तार से बाहर हो रहे हैं।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता, विज्ञान की नित नई दिशा,
हर विचार, हर कार्य, हर आविष्कार,
एक नये युग की शुरुआत है,
लेकिन हमें यह समझने का वक्त कहाँ?
क्या हम तैयार हैं इस सृजनात्मक विस्फोट के लिए?
क्या हम जान पाते हैं इसकी वास्तविकता को?
या फिर हम बस इसे बहने देंगे,
जैसे कोई ताज़ी हवा हो, जो हमें महसूस न हो।
हम सभी बस इस यात्रा पर हैं,
जहाँ हर कदम नया है,
लेकिन हमें समझना होगा,
कि हम केवल दर्शक नहीं, इस युग के निर्माता हैं।