राजनेता और धर्मगुरु: साजिश का अंतहीन चक्र


आज के समाज में, जहाँ हर व्यक्ति अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है, वहीं एक गुप्त साजिश भी चल रही है। यह साजिश है राजनेताओं और धर्मगुरुओं के बीच की। ओशो ने इस साजिश को बड़े ही स्पष्ट शब्दों में उजागर किया है। उनका कहना है:

"ये राजनेता और ये धर्मगुरु लगातार साजिश में हैं, एक-दूसरे के साथ हाथ मिलाकर काम कर रहे हैं... राजनेता धर्मगुरु की रक्षा करता है, धर्मगुरु राजनेता को आशीर्वाद देता है – और जनता का शोषण होता है, उनका खून दोनों द्वारा चूसा जाता है।"

#### राजनेताओं और धर्मगुरुओं का गठजोड़
राजनेता और धर्मगुरु एक-दूसरे के पूरक हैं। राजनेता सत्ता में बने रहने के लिए धर्मगुरुओं का समर्थन प्राप्त करता है, जबकि धर्मगुरु अपने अनुयायियों पर अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए राजनेता की शक्ति का उपयोग करता है। यह गठजोड़ सदियों से चला आ रहा है और इसका मुख्य उद्देश्य जनता का शोषण करना है।

#### शोषण का तंत्र
इस साजिश का मुख्य तंत्र जनता का शोषण करना है। राजनेता सत्ता में बने रहने के लिए जनता को विभाजित करते हैं और धर्मगुरु धार्मिक भावनाओं का लाभ उठाकर अपनी शक्ति बढ़ाते हैं। दोनों ही जनता को अपने-अपने तरीकों से नियंत्रित करते हैं और उनके संसाधनों का दुरुपयोग करते हैं।

#### संस्कृत श्लोक द्वारा व्याख्या
महाभारत में कहा गया है:

"न तस्य वश्यं कर्तव्यं यो बलात्कृत्यं हिनस्ति यः।
तस्याहं न परित्यागं कर्तुमर्हामि सद्धतः॥"

अर्थात, जो व्यक्ति दूसरों का बलपूर्वक शोषण करता है, उसे कभी भी उचित नहीं माना जा सकता। ऐसे व्यक्ति का त्याग ही उचित है।

#### वर्तमान परिदृश्य
आज भी यह साजिश जारी है। राजनेता और धर्मगुरु दोनों ही अपने-अपने स्वार्थ सिद्ध करने में लगे हुए हैं। वे जनता को भ्रमित कर अपने हित साधते हैं। जनता के अधिकारों का हनन करते हैं और उन्हें विकास से वंचित रखते हैं।

#### ओशो की दृष्टि
ओशो ने अपने विचारों के माध्यम से हमें इस साजिश को समझने और इससे मुक्त होने का मार्ग दिखाया है। उनका कहना है कि जब तक हम इस साजिश को समझेंगे नहीं, तब तक हम इससे मुक्त नहीं हो सकते। हमें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना होगा और इन साजिशकर्ताओं के चंगुल से बाहर निकलना होगा।

### निष्कर्ष
राजनेताओं और धर्मगुरुओं की इस साजिश का अंत तभी होगा जब जनता जागरूक होगी और अपने अधिकारों के प्रति सजग होगी। हमें अपने समाज को इस शोषण से मुक्त करने के लिए संगठित होकर कार्य करना होगा। केवल तभी हम एक सच्चे और न्यायपूर्ण समाज की स्थापना कर सकेंगे।

"सत्य की राह पर चलना कठिन है,
पर यही है जीवन का सच्चा अर्थ।"

#### जागरूक बनें, साजिश को समझें और सत्य की राह पर चलें।

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