खुद को खोकर जीने का रास्ता थकाने वाला है,
पर अब समय है खुद को फिर से पाना।
हर बार दूसरों के लिए अपना दिल खोल देना,
क्या कभी सोचा, खुद को भी कुछ देना?
सीमाएं क्या होती हैं, कभी समझा है तुमने?
ये कोई दीवार नहीं, बल्कि एक सुरक्षा है अपनी।
"ना" कहने का हक तुम्हारे पास है,
बिना किसी अपराधबोध के, बिना डर के।
कभी यह महसूस करो कि तुम्हारी जरूरतें भी हैं,
दूसरों की इच्छाओं के बीच अपनी पहचान खोना जरूरी नहीं।
तुम्हारी खुशियाँ, तुम्हारा समय, तुम्हारा मन,
यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना दूसरों का कल्याण।
सीमाएं किसी की नफरत नहीं, बल्कि आत्म-सम्मान हैं,
जो तुम्हारे अस्तित्व को संजीवनी देती हैं।
"मैं नहीं कर सकता" यह किसी को नाराज करना नहीं है,
यह खुद से प्यार करने का तरीका है, समझो इसे।
कभी यह भी जानो, यह ठीक है कि सभी तुमसे प्यार न करें,
हर व्यक्ति तुम्हारी परिभाषा नहीं बना सकता।
तुम्हारी कीमत दूसरों के विचारों से नहीं तय होती,
तुम्हारा अस्तित्व खुद में अनमोल है, यह समझो।
सीमाएं स्वार्थी नहीं होतीं, ये तो जीवन की नींव हैं,
जो तुम्हारी शांति, तुम्हारी पहचान को सुरक्षित रखती हैं।
जब तुम सीमाएं तय करते हो,
तब तुम अपने अस्तित्व को सही दिशा में मार्गदर्शित करते हो।
अब समय है खुद से प्यार करने का,
सीमाओं को समझने और उन्हें अपनाने का।
"ना" कहो, बिन घबराए,
और खुद के लिए जीने का हक पाए।