निर्णय और नतीजों की कला



मेरी सफलता,
मेरे फैसलों की धार पर टिकी है।
जीवन की हर मोड़ पर,
एक निर्णय खड़ा होता है,
जिसे लेना या छोड़ना,
सिर्फ मेरा अधिकार है।
कभी सही, कभी गलत,
फिर भी मैं चलता हूँ,
क्योंकि रुकना,
हार मानने जैसा लगता है।

लेकिन खुशी?
वो नतीजों की मोहताज नहीं।
मैंने सीखा है,
कि नतीजों की चिंता छोड़ देना
एक कला है,
जो सुकून का रास्ता दिखाती है।
क्योंकि जब मैं नतीजों से परे होता हूँ,
तभी मैं खुद से जुड़ पाता हूँ।

मैंने फैसलों की शक्ति को अपनाया,
पर नतीजों से खुद को मुक्त किया।
हर कदम पर,
जीवन ने मुझे सिखाया,
कि कोशिश करना मेरा कर्तव्य है,
पर हर नतीजा
मेरे नियंत्रण से बाहर है।

अब, मैं फैसले लेता हूँ,
जिम्मेदारी से,
पर उन्हें जकड़कर नहीं रखता।
मैंने अपने मन को आज़ाद किया,
उस भार से जो नतीजों ने दिया।

क्योंकि खुशी वही है,
जब मैं अपनी राह चुनूँ,
और उस पर चलता जाऊँ,
बिना डर के,
बिना नतीजों की परवाह के।
सफलता मेरे फैसलों की साथी है,
और खुशी,
मेरी आत्मा की आज़ादी।


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