"क्या प्यार अधूरा है सेक्स के बिना?"
(3 जून 2020 की सुबह... जब अकेलापन ज़्यादा गहरा था)
उस दिन बालकनी में बैठा था, लॉकडाउन के दिनों में, जहाँ बाहर सिर्फ सन्नाटा था और भीतर एक बेचैन मन।
अचानक WhatsApp पर एक पुरानी दोस्त का मैसेज आया —
"क्या तुम्हारा कोई ऐसा रिश्ता रहा है, जिसमें सिर्फ प्यार था... बिना सेक्स के?"
मैं मुस्कुराया — क्योंकि हाँ, था।
---
Sex और Love — एक जैसे दिखते हैं, मगर एक नहीं होते।
Sex शरीर का hunger है, और love आत्मा की प्यास।
कभी ये दोनों साथ चलते हैं — जैसे कोई गीत और उसकी धुन।
पर कई बार, सिर्फ धुन ही दिल को छू जाती है।
---
मेरा अनुभव:
कुछ साल पहले एक लड़की मिली, दिल्ली में।
ना हमने एक-दूसरे को छुआ, ना ही कभी date पर गए।
पर हर रात बातें होती थीं — उसकी माँ की बीमारी, मेरे लिखने की तन्हाई, उसके broken engagement के बाद की चुप्पी।
वो एक प्रेम था — जिसमे स्पर्श नहीं था, पर अपनापन था।
ना lust था, ना jealousy...
बस एक connection — जो दिन नहीं गिनता था, बदन नहीं मांगता था।
---
प्यार सेक्स के बिना क्यों ज़िंदा रह सकता है?
1. Emotional intimacy ज्यादा गहरा होता है:
जब दो लोग एक-दूसरे के mind और soul से जुड़ते हैं, तो physical act secondary हो जाता है।
2. Unconditional Acceptance:
प्यार में जब 'कुछ चाहिए' नहीं होता, तब सेक्स की ज़रूरत एक demand नहीं रह जाती।
3. Spiritual Love:
जैसे मीरा का प्रेम कृष्ण से था — उसमें कोई स्पर्श नहीं, फिर भी सम्पूर्ण समर्पण था।
---
पर क्या सेक्स प्यार को गहरा नहीं करता?
कभी-कभी हाँ।
Sex, जब mutual respect और भावनात्मक जुड़ाव से होता है —
तो वो सिर्फ physical act नहीं, एक prayer बन जाता है।
तब वो दो शरीरों की नहीं, दो आत्माओं की मुलाक़ात होती है।
---
Covid और दूरी:
लॉकडाउन ने हमें दिखाया कि physical touch के बिना भी रिश्ता जिंदा रह सकता है।
लोगों ने प्रेम को screens के पार जीना सीखा।
Sex नहीं था, फिर भी प्यार था।
Sex एक beautiful अनुभव है — पर ये प्यार की शर्त नहीं है।
प्यार breathing जैसा है — जो बिना छुए भी अहसास कराता है।
और कभी-कभी,
"एक नज़र, एक बात, एक साथ बैठी खामोशी — वो सब कुछ कह देती है, जो सेक्स नहीं कह सकता।"
---