अनन्त सफर

**अनन्त सफर**

चल रहा हूं, अनगिनत सफर पर,  
नयी दिशा की खोज में, हर कदम लहराता हुआ।  
छोड़ गया पीछे बीते कल को,  
नए सपनों की ओर बढ़ता हुआ।  

हर पल, हर क्षण, नयी आवाज़,  
नयी धुन में गुज़रता हुआ।  
खोजते हुए खुद को, अपनी पहचान को,  
जीवन की राह में प्रवाहित होता हुआ।  

हिंदी की मिठास, इंग्लिश की गहराई,  
अनगिनत भाषाओं का संगम मेरे मन में।  
हीरे की तलाश में, सोने को पाता हुआ,  
अपनी अनमोली पहचान को खोजता हुआ।  

सफलता की ऊंचाइयों को छूते हुए,  
चलता हूं, नयी दिशा की ओर, संग-संग जीते हुए।  
धीरे-धीरे समय के साथ, सीखता हुआ,  
बस चलता ही रहता हूं, बस बढ़ता ही जाता हुआ।  

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...