तुम्हारा मूल्य दूसरों की स्वीकृति से नहीं जुड़ा,
तुम जो हो, वही सबसे बड़ा सत्य है, जो तुमने समझा।
यह जो ख़ुश करने की आदत है, यह सिर्फ एक तलाश है,
सच्चे आत्म-सम्मान की, जो भीतर से आनी चाहिए।
तुम जब दूसरों को खुश करते हो, तो क्या खुद को भूल जाते हो?
तुम्हारी असली कीमत तो तुम्हारे भीतर की आवाज़ में है।
कभी यह महसूस करो, तुम जो हो, वह खुद में पर्याप्त है,
तुम्हारी अस्तित्व की चमक किसी से कम नहीं है।
तुम्हारा मूल्य केवल इस बात से नहीं है कि तुम क्या करते हो,
बल्कि इस बात से है कि तुम कौन हो, क्या तुम खुद को जानते हो।
जो तुम कर रहे हो, वह दूसरों की नज़र से नहीं,
अपने दिल की सुनो, वही सबसे महत्वपूर्ण है।
तुम हो जैसे हो, वही पर्याप्त है,
तुम अपनी असली पहचान को न समझने से डरते नहीं हो।
तुम जो हो, वह पहले से ही मूल्यवान है,
तुम महत्वपूर्ण हो, यह समझने का समय है।
तो अब खुद को पहचानो, खुद से प्यार करो,
तुम्हारी आत्मा का प्रकाश कभी फीका न होने दो।
दूसरों की स्वीकृति से नहीं, अपनी आत्मा से जियो,
तुम पूरी तरह से सही हो, जैसे हो, वैसे रहो।