अकेलेपन का उपहार



अकेलापन नहीं है तन्हाई,
यह तो है खुद से गहराई।
मन के अंधेरों में खोज का उजाला,
सपनों को सच करने का हवाला।

यह समय है रुकने का, सोचने का,
जीवन के रास्तों को मोड़ने का।
भीड़ से दूर, शांति के पास,
यही तो है आत्मा का असली निवास।

जो समझे इसे, वो पाता है राह,
खुद से मिलने का मिलता है चाह।
यह उपहार है, यह अवसर है महान,
बनाओ इसे अपने जीवन का विधान।

तो मत समझो इसे एकांत की सजा,
यह तो है खुद को नया गढ़ने का मजा।
अकेलेपन में छिपा है सृजन का गीत,
खुद को जानो, यही है जीवन की जीत।


मैं, ब्रह्मांड का अंश, ब्रह्मांड मुझमें

मैं, एक अणु, जो ब्रह्मांड में विचरता, ब्रह्मांड का अंश, जो मुझमें बसता। क्षितिज की गहराई में, तारे की चमक में, हर कण में, हर क्ष...