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लेखक: Deepak Dobhal
(मैं, एक साधक, एक जिज्ञासु)
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जब मैंने पहली बार पुणे के ओशो आश्रम में कदम रखा, तो मेरा मन एक साथ जिज्ञासा, उलझन और आकर्षण से भर गया था। वहाँ का वातावरण किसी और ही दुनिया का था — मौन, संगीत, ध्यान, कला और... शरीर की स्वीकृति।
कुछ लोग वहाँ पूरी तरह नग्न घूमते थे — बिना किसी संकोच के, बिना किसी शर्म के। कुछ विदेशी जोड़े खुलेआम आलिंगन में लिपटे ध्यान कर रहे थे, तो कुछ लोग ज़ोर से हँसते हुए Mystic Rose ध्यान में डूबे हुए थे। मुझे लगा — यह क्या है? धर्म? ध्यान? या कोई देह-उत्सव?
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Osho की दृष्टि में Open Sex क्या है?
ओशो का कहना था:
> "सेक्स को दबाना नहीं है, बल्कि समझ के साथ जीना है। अगर तुम सेक्स को समझो, उसकी गहराई में उतर जाओ, तो वही ऊर्जा समाधि बन सकती है।"
> "मैं काम को भी ध्यान बना देना चाहता हूँ।"
ओशो ने "Open Sex" को कभी promote नहीं किया, जैसा आजकल होता है। उन्होंने देह के स्वाभाविक आकर्षण को suppression की जगह acceptance से देखने की बात कही। उनका commune एक प्रयोगशाला था — जहाँ लोग अपने भीतर के repression, guilt, और conditioning से मुक्ति पाने के लिए शरीर, प्रेम और ध्यान को साथ लेकर चले।
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ऋषिकेश का अनुभव – खुले संबंधों के बीच खोई हुई आत्मा की पुकार
एक बार मैं ऋषिकेश में गंगा किनारे एक ध्यान कार्यक्रम में गया, जहाँ कुछ विदेशी ध्यान साधक भी थे। वहाँ एक रात मैंने देखा कि कुछ लोग आग के चारों ओर बैठे थे, नंगे, शराब के साथ, एक-दूसरे को छूते हुए — किसी त्योहार की तरह। मुझे लगा — क्या यही ध्यान है?
लेकिन अगले दिन, वही लोग शांत होकर विपश्यना ध्यान में डूबे थे। यहीं से मेरी समझ बदलने लगी। Open Sex एक बाहरी रूप था, लेकिन कई लोग इसके माध्यम से भीतर की यात्रा पर थे — तो कई बस देह के प्यासे।
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क्या नग्नता आत्मा की अभिव्यक्ति हो सकती है?
ओशो commune में नग्नता का उद्देश्य अश्लीलता नहीं था, बल्कि "शरीर से शर्म का पर्दा हटाना" था। ओशो कहते थे:
> "जब तुम नंगे हो, तुम सबसे सच्चे हो। न कोई कपड़ा, न कोई मुखौटा।"
नग्नता वहाँ एक प्रतीक थी — authenticity का, सत्य का, वासनाओं के पार जाने का।
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लेकिन क्या Open Sex समाधान है? या सिर्फ एक पड़ाव?
मैंने यह अनुभव किया कि जो लोग सिर्फ शरीर के भूखे हैं, उनके लिए Open Sex कभी आत्मा की तृप्ति नहीं देता। कुछ समय बाद guilt, loneliness, और sense of meaninglessness गहराने लगती है।
पर जो लोग इसे जागरूकता और खुले मन से साधना की तरह अपनाते हैं, उनके लिए यह repression से मुक्ति का द्वार बन सकता है।
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Osho के विचारों की गहराई: सेक्स से समाधि तक
> "Sex is the seed, love is the flower, and compassion is the fragrance."
ओशो के अनुसार, अगर इंसान सेक्स में गहराई से जाये, उसे समर्पण, ध्यान और प्रेम के साथ जिए — तो वही ऊर्जा धीरे-धीरे करुणा में बदल सकती है। यह kundalini की तरह है — जो मूलाधार से सहस्रार की ओर चढ़ती है।
परंतु अधिकतर लोग पहले ही पड़ाव में अटक जाते हैं — देह, कामना और अहंकार के स्तर पर।
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मेरा निष्कर्ष और आत्मनिरीक्षण:
Open Sex, Osho commune, ऋषिकेश के अनुभवों ने मेरे भीतर यह बोध जगाया कि:
सेक्स एक ऊर्जा है — न पाप, न पुण्य।
समाज ने इसे तिरस्कृत कर दिया, धर्म ने दबा दिया, और बाजार ने बेच दिया।
लेकिन अगर इसे ध्यानपूर्वक, प्रेमपूर्वक और आत्मबोध की भावना से जिया जाये — तो यही देह, यही स्पर्श, ईश्वर की झलक बन सकता है।
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अंतिम प्रश्न तुमसे और खुद से:
क्या तुम्हारा Open Sex एक healing है या escaping?
क्या वह आत्मा को जोड़ रहा है या बस देह से टूट रहा है?
क्या वह प्रेम बन रहा है या सिर्फ उपभोग?