धरती की गोद में बसा है परमात्मा का वास,

पंछियों की गुंज, तितलियों का खेल,
नदियों की लहरें, झरनों का रस।
हवाओं की सरगम, खेतों की हरियाली,
खलियानों की सुगंध, चीड़ के पेड़ों का संगीत।

नागों की भव्यता, देवताओं की शान,
हर रूप में छुपी है प्रकृति की कहानी,
एक संगम है यहाँ, विविधता की भाषा,
समृद्धि का निर्माण, प्रेम की आवाज।

बगीचे का मधुर सपना, मेंढ़की का रोमांस,
अंतरिक्ष की अनंतता, भूमि का प्रेम।
यहाँ हर कोने में है जीवन का उत्सव,
प्रकृति की महिमा, विचारों की उस्ताद।

धरती की गोद में बसा है परमात्मा का वास,
हर एक प्राणी में छिपी है उसकी खासियत।
सम्पूर्णता का अनुभव, अनंतता की भावना,
यही है प्रकृति की अद्वितीय सौंदर्य की कहानी का सार।

आधी-अधूरी आरज़ू

मैं दिखती हूँ, तू देखता है, तेरी प्यास ही मेरे श्रृंगार की राह बनती है। मैं संवरती हूँ, तू तड़पता है, तेरी तृष्णा ही मेरी पहचान गढ़ती है। मै...